[1] हमारे आस पास के पदार्थ
( matter in our surrounding )
पदार्थ (matter)
पदार्थ ब्रह्मांड का अवयव है जिसमें द्रव्यमान व आयतन होता है जिसका अनुभव हम अपनी ज्ञानेंद्रियों द्वारा कर सकते हैं उदाहरण वायु जल लकड़ी हीरा स्टील इस्पात का आदि* पदार्थ की मूलभूत इकाई परमाणु होती है
*पदार्थ स्थान घेरता है इसमें भार होता है
पदार्थ से संबंधित महत्वपूर्ण पद (important terms related to matter)
* द्रव्यमान ( mass)किसी वस्तु में उपस्थित द्रव्य की वास्तविक मात्रा को उसका द्रव्यमान कहते हैं किसी वस्तु का द्रव्यमान सदैव निश्चित होता है अर्थात स्थान परिवर्तन के साथ इसका मान परिवर्तित नहीं होता है इसे M से दर्शाते हैं ।
* भार (weight)
पृथ्वी अपने केंद्र की ओर वस्तुओं को जिस बल द्वारा आकर्षित करती है उसे भार कहते हैं स्थान परिवर्तन के साथ इनका मान परिवर्तित होता है
आयतन ( volume)
किसी वस्तु द्वारा घेरा गया स्थान उस वस्तु का आयतन कहलाता है।
ऊर्जा(energy)
किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को उर्जा कहते हैं
पदार्थ के कणों के गुण ( properties of matter )
* पदार्थ के कणों के मध्य रिक्त स्थान होता है* पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात इसमें गतिज ऊर्जा होती है तथा ताप बढ़ने से कणो की गति तेज तेज हो जाती है अतः यह कहा जा सकता है कि ताप वृद्धि होने पर कणो की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाती है
* पदार्थ के कणों के मध्य आकर्षण बल उपस्थित होते हैं जिसे अंतर आणविक बल कहते हैंहैं
पदार्थ की अवस्था ( state of matter )
ठोस अवस्था ( solid state )
पदार्थ की अवस्थाएं जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित होते हैं ठोस कहलाते है ।उदाहरण पत्थर लकड़ी
ठोस अवस्था की महत्वपूर्ण गुणधर्म
* ठोस में अणुओं की व्यवस्था निश्चित होती हैं* ठोस का आयतन एवं आकार दोनों निश्चित होता है
* ठोस बहुत कम समपीडयता होती हैं
* ठोस का घनत्व अधिक होता है
द्रव अवस्था (liquid state )
पदार्थ की अवस्था जिसका आयतन तो निश्चित होता है परंतु आकार अनिश्चित होता है द्रव कहलाती है उदाहरण जल तेल* छोस की अपेक्षा द्रव में अणु की मध्य दूरी अधिक होती है जिस कारण इसके अणु स्वतंत्र रूप से गति करते हैं
* द्रव पदार्थ का आकार अनिश्चित तथा आयतन निश्चित होता है
गैस अवस्था ( gas state )
पदार्थ की वह अवस्था जिसमें पदार्थ का न तो आकार निश्चित होता है और ना ही आयतन निश्चित होता है गैस का कहलाती हैंप्लाज्मा ( plasama )
पदार्थ की वह अवस्था जिसमें उच्च ताप पर पदार्थ के परमाणु आयनित अवस्था में होते हैं प्लाज्मा कहलाती हैंबोस आइंस्टीन कंडेंनसेट
पदार्थ की वह अवस्था जो अत्यधिक निम्न ताप पर प्राप्त होती है बोस आइंस्टीन कंडेंसेट कहलाती है ।***
जल एक ऐसा पदार्थ है जो तीनों भौतिक अवस्थाओं में ठोस द्रव गैस में पाया जाता है ।***
पदार्थ का अवस्था परिवर्तन ( change of state of matter )
ताप या दाब के प्रभाव के कारण पदार्थ की एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तन की प्रक्रिया को पदार्थ का अवस्था परिवर्तन कहते हैं पदार्थ की अवस्था परिवर्तन को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है
गलन एवं गलनांक (melting and melting point )
ठोस को द्रव में परिवर्तित होने की क्रिया गलन कहलाती है
वह न्यूनतम तापमान जिसपर कोई ठोस एक वायुमंडलीय दाब पर द्रव में परिवर्तित हो जाता है उस ठोस का गलनांक कहलाता है
गलन की गुप्त ऊष्मा ( letent heat of melting )
किसी ठोस के 1 ग्राम को उसके गलनांक पर द्रव में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा उस ठोस की गलन की गुप्त ऊष्मा कहलाती हैंहिमीकरण एवं हिमांक ( freeze and freezepoint )
द्रव के ठोस में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को हिमी करण कहते हैंवह निश्चित ताप जिस पर कोई द्रव ठोस परिवर्तित होने लगता है हिमांक कहलाता है
क्वथन एवं क्वथनांक ( boiling and boilng pont )
द्रव को गर्म करने पर उसका ताप बढ़ने लगता है निरंतर गर्म करते रहने पर एक ऐसी स्थिति आती है जहां द्रव का ताप स्थिर हो जाता है इस स्थिति पर द्रव के भीतर वाष्प के बुलबुले निकलने लगते हैं इस क्रिया को क्वथन कहते हैं वह निश्चत ताप जिस पर यह क्रिया होती है क्वथनांक कहलाती हैक्वथन की गुप्त ऊष्मा ( latent heat of boiling )
1 ग्राम द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा उस द्रव के क्वथन की गुप्त ऊष्मा कहलाती हैंउर्ध्वपातन ( sublimation )
कुछ ठोस ऐसे भी होते हैं जो गर्म करने पर बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए सीधे ही वाष्प में परिवर्तित हो जाते हैं तथा ठंडा करने पर पुनः ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं ऐसे पदार्थ उर्ध्वपातज कहलाते हैं तथा यह प्रक्रिया उर्ध्वपातन कहलाती है उदाहरण कपूर अमोनियम क्लोराइडतापमान मापन का पैमाना
तापमान मापन के तीन पैमाने निम्न प्रकार के होते हैं
* केल्विन पैमाने पर ताप = सेल्सियस पैमाने पर ताप + 273.16* सेल्सियस पैमाने ताप = केल्विन पैमाने पर ताप - 273.16
* फारेनहाइट पैमाने पर ताप का मान सेल्सियस तथा फॉरेनहाइट से परस्पर संबंध रखता है
F = 9/5( 'C ) + 32
नोट केल्विन ताप का S.I. मात्रक है
वाष्पीकरण ( evaportation )
क्वथनांक से नीचे किसी भी ताप पर द्रव की सतह से द्रव के कणों के वाष्प में परिवर्तन की क्रिया वाष्पीकरण कहलाती हैंवाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
* द्रव में कार्यरत अंतराकरणीय बालों की प्रबलता बड़ने पर वाष्पीकरण की दर कम हो जाती है
* द्रव का पृष्ठ क्षेत्रफल पढ़ने से वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती हैं
* तापमान या वायु की गति में वृद्धि होने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है
* वायुमंडल में नमी में वृद्धि होने पर वाष्पीकरण की दर कम हो जाती हैं
वाष्पीकरण के प्रभाव
1. गिरी चादर का धूप में जल्दी से सुखनागिली चादर को धूप में फैलाने पर ताप एवं पृष्टि क्षेत्रफल बढ़ने के कारण वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है अतः गीली चादर जल्दी सूख जाती हैं
2. पानी से भरी मिट्टी के घड़े की बाहरी सतह पर जल के अणुओ का प्रकट होना
पानी से भरे मिट्टी के घड़े से जल के अणुओ के वाष्पीकृत हो जाने के कारण शेष बचे जल का तापमान कम हो जाता है अतः वायुमंडल में उपस्थित नमी इसके संपर्क में आकर वहीं संघनित हो जाती है तथा हमें घड़े के बाहर जल की बुंदो के रूप में दिखाई देती हैं
आसवन (distilation )
जिसमें पदार्थ को पहले वास विद करके प्राप्त वस्तुओं के संगठन द्वारा शुद्ध पदार्थों को अलग पात्र में एकत्रित कर लिया जाता हैआसवन = क्वथन + संघनन
नोट - CO2 को ठोस बर्फ कहते हैं ।
संघनन ( condesation )
पदार्थ गैस अवस्था से द्रव में बदलता है तो इस क्रिया को संघनन कहते हैनिचे click करे
विटमिन नोटस / vitamins notes
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